केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान परिषद् (सीसीआरवाईएन) योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसंधान एवं विकास के लिए 1978 में एक स्वायत्त संस्थान के रूप में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत स्थापित एक शीर्ष निकाय है। अनुसंधान और विकास के अलावा, परिषद् योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रचार, प्रसार, शिक्षा, प्रशिक्षण और प्रकाशन में सक्रिय रूप से संलग्न है। अब तक परिषद् का शोध कार्य परिषद् के वित्तीय सहयोग से देश के प्रमुख चिकित्सा, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थानों द्वारा किया जाता रहा है। परिषद्, इस स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की संभाव्य क्षमता के समर्थन में यथेष्ठ एवं प्रर्याप्त आँकडे उत्पन्न करने के लिए 100 शैय्या वाले अस्पताल के साथ अपना स्वयं का केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान संस्थान स्थापित करने के लिए सतत प्रयास कर रही है। इस संदर्भ में निम्नलिखित सीआरआई की स्थापना के संबंध में कार्य पहले ही शुरू किया जा चुका है:-
केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (के.यो.प्रा.चि.अ.प.) योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान और विकास के लिए एक स्वायत्त संस्था है जिसकी स्थापना 1978 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अन्तर्गत हुई थी। परिषद् पूर्णत: आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है। संगम ज्ञापन के अनुसार परिषद् के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:-
देश में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसंधान, शिक्षा तथा साक्ष्य आधारित अनुसंधान में अग्रणी होने के लिए आयुष की इन प्रणालियों का स्वास्थ्य एवं रोग में चिकित्सीय विज्ञान, रोकथाम तथा प्रचार-प्रसार के रूप में उपयोग करना।
वैज्ञानिक संस्थानों के साथ अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देकर योग और प्राकृतिक चिकित्सा में बुनियादी स्तर तक पहुँचने और नैदानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना, शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से कुशल जनशक्ति विकसित करना, कार्यशालाओं, सम्मेलनों और इन्क्यूबेटरों के माध्यम से नवाचार को समृद्ध करना और केन्द्रों और जागरूकता कार्यक्रमों में वृद्धि कर योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली का प्रचार करना। जीवन शैली के हस्तक्षेप के रूप में योग और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली का विकास देश में बढ़ते असंक्रामक रोगों की रोकथाम में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में वैज्ञानिक सम्मत अनुसंधान के लक्ष्य और प्रणाली (पैटर्न) तैयार करना।
योग और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान और अन्य कार्यक्रम करना।
सामान्यत: रोग के कारण, प्रसार के तरीके और रोकथाम के संबंध में ज्ञान का प्रचार और प्रायोगिक उपाय
योग और प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं में मौलिक और अनुप्रयुक्त, वैज्ञानिक अनुसंधान, सहयोग, विकास और समन्वय की शुरूआत करना।