योग

योग पर परिचय

इतिहास और परिभाषा

  • परिचय
  • योग कई सदियों से अस्तित्‍व में है। ऋग्‍वेद के श्‍लोकों में योग का उल्‍लेख मिलता है। योग के संबंध में प्रथम पुरातात्विक साक्ष्‍य सिन्‍धु घाटी सभ्‍यता (330 ई.पू. से 1300 ई.पू.) से भी हजारों साल पहले के हैं। योग छह भारतीय दर्शनों में से एक है। सांख्‍य दर्शन के अनुसार योग, सांसारिक सुखों के नियमपूर्वक आचार/व्‍यवहार और वैराग्‍य के माध्‍यम से चेतना या स्‍वयं या सुख की वास्‍तविक स्थिति की प्राप्ति या अनुभूति है। इसे ज्ञान योग (ज्ञान), भक्ति योग (भावना संस्‍कृति), कर्म योग (नि:स्‍वार्थ कर्म) या एक व्‍यवस्थित प्रक्रिया के अन्‍तर्गत मन की शुद्धता/पवित्रता प्राप्ति राजयोग कहलाता है।
    ऋषि पतंजलि राजयोग के संबंध में बताते हैं कि अष्‍टांग मार्ग के माध्‍यम से मोक्ष या मुक्ति प्राप्‍त होती है। इन चरणों के अभ्‍यास से व्‍यक्ति के स्‍वास्‍थ्‍य सुधार के अलावा व्‍यवहार, व्‍यक्तित्‍व और जीवन के दृष्टिकोण में आंतरिक परिवर्तन होता है। यह बुरी भावनाओं और विचारों को अच्‍छे विचारों में परिवर्तित करने में सहायता करता है और न केवल व्‍यक्ति विशेष अपितु समुदाय को भी बदलने में मदद करता है।
    अष्‍टांग मार्ग जिसे राज योग के नाम से भी जाना जाता है, में शामिल हैं:

  • यम: संस्‍कृत में यम का अर्थ है ‘’नियंत्रण’’। हिंदू और जैन धर्म के धार्मि‍क ग्रंथों में बताये जाने वाले पांच सामाजिक प्रतिबंधों और नैतिक संहिताओं का उललेख मिलता है जिसे यम के रूप में जाना जाता है, जैसे- अहिंसा (विचार, शब्‍द और क्रिया में अहिंसा), सत्‍य- सत्‍यता, अस्‍तेय (चोरी न करना), अप‍रिग्रह (लालची नहीं होना), ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य)।
  • नियम: पाँच नियम हैं- सौच (स्‍वच्‍छता), संतोष (संतोष), तपस (आत्‍म–अनुशासन) स्‍वाध्‍याय (आत्‍मप्रतिबिंब) और ईश्‍वरप्राणिधान (परम परमेश्‍वर के प्रति समर्पण)
  • आसन: मुद्राएँ
  • प्राणायामन: श्‍वास का नियमन
  • प्रत्‍याहार (आत्‍मनिरीक्षण या इंद्रियों के चित्र बनाने में)
  • धारणा: एकाग्रता
  • ध्‍यान: ध्‍यान
  • समाधि (परम चेतना की आत्‍म-साक्षात्‍कार)

योग केवल एक साधना नहीं है, यह एक ऐसी तकनीक भी है जो महान ऋषि वशिष्‍ठ के अनुसार मन को शांत करने में सहायता करती है। योग का अर्थ है शरीर, मन और आत्‍मा का मिलन या मिलान। योग एक पूरक और तन और मन की चिकित्‍सा के रूप में भारतीय और पश्चिमी देशों की आबादी दोनों में ही इसका तेजी से अभ्‍यास किया जा रहा है। यह एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसका उपयोग कई स्वास्थ्य स्थितियों में चिकित्सीय लाभ के लिए किया गया है जिसमें मानसिक तनाव की स्थिति में योग को एक मुख्‍य भूमिका निभाने के लिए माना जाता था। प्राचीन योगियों ने योग को चिकित्सीय पद्धति के रूप में नहीं देखा अपितु उनके लिए योग दुखों का अंत और मुक्ति का मार्ग था, हालांकि, वे मदद नहीं कर सकते थे, लेकिन उन्होने पाया कि योग का अभ्यास करने वालों में दर्द और पीड़ा से लेकर बीमार होने के प्रतिरोध तक सब में सुधार हुआ है। चूँकि रोग योग के अभ्यास में एक बाधा माना जाता था, इसलिए जो कुछ भी स्वास्थ्य में सुधार करता था वह आध्यात्मिक विकास के लिए वरदान था। आध्यात्मिक अभ्यास से योग सदियों से स्वास्थ्य संवर्धन और रोग की रोकथाम के लिए मन को शांत करने के विज्ञान के रूप में विकसित हुआ है। योग एक औषधि रहित भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो हमारे देश और दुनिया में गैर सचारी (असंक्रामक) रोगों जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा, कैंसर आदि के बढ़ते बोझ को प्रबंधित करने के लिए तनाव प्रबंधन, जीवन शैली, आहार और पोषण पर जोर देती है।

प्रशिक्षण और शिक्षा

योग के विभिन्न स्कूल हैं जो दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। कुछ महान योगी और उनकी परंपराएं नीचे दी गई हैं:

  • स्वामी महर्षि माहेश्वरी योगी- ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन - 1970
  • स्वामी कुवल्यानंद - कैवल्यधाम
  • श्री बी.के.एस. अयंगर- अयंगर योग
  • श्री स्वामी शिवानंद- शिवानंद आश्रम
  • स्वामी सत्यानंद सरस्वती- बिहार योग विद्यापीठ
  • श्री टी.के.वी देसिकाचर-कृष्णामाचारी योग मंदिरम
  • डॉ. एच.आर. नागेंद्र- एस- व्‍यासा योग विश्वविद्यालय
  • स्वामी बाबा रामदेवजी - पतंजलि योगपीठ
  • श्री पंडित रविशंकर गुरुजी- जीने की कला
  • श्री कमलेश पटेल- रामचंद्र मिशन
  • स्वामी महेश्वरानंद- दैनिक जीवन में योग
  • श्रीमती हंसाजी जयदेव योगेंद्र - योग संस्थान, मुंबई
  • योग शिक्षा

    इन पारंपरिक स्कूलों के अलावा कई विश्वविद्यालय हैं जो योग पाठ्यक्रमों में प्रमाणन कार्यक्रम, डिप्लोमा, स्नातकोत्तर डिप्लोमा, बीए, बिस्तर, एमए, एमएससी, एमफिल और पीएचडी प्रदान करते हैं। देश में लगभग 200 ऐसे विश्वविद्यालय और कॉलेज हैं। चिकित्सा पद्धति के रूप में योग की चिकित्सा शिक्षा का प्रचार योग और प्राकृतिक विज्ञान में साढ़े पांच साल की स्नातक की डिग्री के माध्यम से किया जा रहा है, जो 18 राज्यों और 53 कॉलेजों में एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम है और देश भर के 5 कॉलेजों में योग में 3 वर्षीय एमडी पाठ्यक्रम है।

    अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

    नरेंद्र मोदी सरकार के अथक प्रयासों के कारण, 21 जून को संयुक्‍त राष्‍ट्र संध की महासभा द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया। 11 दिसंबर 2014 को, 193 सदस्यीय संयुक्‍त राष्‍ट्र संध की महासभा ने 21 जून को "अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस" ​​के रूप में स्थापित करने के प्रस्ताव को पारित करने वाले 177 सह-प्रायोजक देशों में एक रिकॉर्ड आम सहमति से प्रस्ताव को मंजूरी दी। संयुक्‍त राष्‍ट्र संध की महासभा ने अपने प्रस्ताव में समर्थन किया कि "योग जीवन के सभी पहलुओं के बीच संतुलन बनाने के अलावा स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। योग का अभ्यास करने के लाभों के बारे में जानकारी का व्यापक प्रसार विश्‍व की आबादी को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा।

    योग बाजार ( मार्केट)

    एलाइड मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक योग बाजार 2027 तक $ 66.4 बिलियन तक बढ़ने वाला है। 2019 में यह $ 37.5 बिलियन था भारत में। योग का बाजार 4.0 अरब डॉलर का है। योग बाजार के 9.6% सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। वेबसाइट के अनुसार स्टेटिस्टा योग मैट पिछले एक साल में ही 11.7 अरब डॉलर के बिके।

    योग प्रशिक्षण
    रोजाना 30 से 45 मिनट तक योग का अभ्यास करने से व्यक्ति को जीवन शैली संबंधी किसी भी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। योग को उन गांवों में ले जाया जाएगा जहां कम से कम एक व्यक्ति एक परिवार को अगले तीन वर्षों तक योग करने के लिए प्रेरित करेगा। इस तरह योग हर घर और हर गांव में पहुंचेगा और योग करना पारिवारिक गतिविधियों का एक अभिन्न अंग बन जाएगा।
    एक चिकित्सा के रूप में योग
    योग किसी भी प्रकार की बीमारी के उपचार में मदद कर सकता है। जीवनशैली की समस्याओं, गैर-संचारी विकारों और कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक आदि जैसी आधुनिक बीमारियों के रोगियों के पुनर्वास में विश्व स्तर पर इसकी स्वीकृति स्वतः ही योग की क्षमता को दर्शाती है। बड़ी संख्या में योग चिकित्सकों और सलाहकारों की आवश्यकता है। वर्ष 2014 से योग अनुसंधान पर प्रकाशनों की संख्‍या में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। योग को एक चिकित्सा के रूप में जोड़ना स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में बड़ा ही भविष्‍यगामी व लाभदायक होगा।
    शिक्षा में योग
    योग शिक्षा के कई आयाम हैं। योग प्रशिक्षक विभिन्न स्तरों हर क्षेत्र में स्वास्थ्य और कल्याण लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जैसे- स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, खेल उत्सवों, कार्यस्थलों, कॉर्पोरेट क्षेत्रों, सशस्त्र बलों, पुलिस कर्मियों, चिकित्सा पेशेवरों, नर्सिंग स्टाफ, नौकरशाहों और सरकारी कर्मचारीगण हर जगह।
    कार्यस्थल पर उत्पादकता में सुधार के लिए योग
    योग अपने सिद्धांतों और अभ्यास के कारण व्यक्ति के जीवन प्रबंधन में मदद करता है। योग प्रबंधन के क्षेत्र में जनसाधारण के जीवन में और कार्यस्थल में लाखों लोगों के लिए उत्पादकता में सुधार का एक बड़ा अवसर है।
    योग पर्यटन
    योग की आध्यात्मिक विशेषताओं और लाभों के कारण, विशेष रूप से भारत के भीतर महत्त्वपूर्ण स्थान पर्यटन का पर्यटक एक आकर्षण केंद्र बन गया है। दुनिया भर के पर्यटकों को ऋषिकेश जैसे स्थानों पर आकर्षित करना, जिसे विश्‍व की योग राजधानी माना जाता है, स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं और आतिथ्य उद्योग का सहारा दिया है। इसके अलावा बैंगलोर, मैसूर, पुणे, मुंबई, चेन्नई आदि जैसे अन्य शहरों के अलावा 2013-18 के बीच योग पर्यटन की मात्रा में 61 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसमें से अकेले योग हब वाले राज्यों से 44 फीसदी की वृद्धि हुई है।
    योग परिधान उद्योग
    जैसे-जैसे योग योगाभ्यासकर्ताओं की वैश्विक स्तर में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे एथलेटिक, योग मैट और अन्‍य खेल परिधानों की मांग भी बढ़ रही है। जहाँ मौजूदा एथलेटिक वियर कंपनियों को इस बढ़ती मांग से लाभ हुआ है, वहीं इससे नए बाजार खिलाड़ियों का भी उदय हुआ है। भारत योग परिधान का प्रमुख केंद्र बन सकता है।